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Interview on Ujyaalo radio

Please listen/download interview(Badalido Nepal 2012-07-16.mp3): Ushakala Rai (NCP-UML) and me talking about crucial issues of Citizenship and Nationalism in Nepal
http://unn.com.np/index.php?pageName=download_details&id=20&fb_source=message


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सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा

 सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा सुगौली संधि फिर से चर्चा में है । वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल के नये नक्शे के मुद्दे को फिर से उठाते हुए १८१६ की सुगौली संधि का एक बार फिर से जिक्र किया है ।  लेकिन इस बारे बोल  सिर्फ प्रधानमंत्री रहे है। इस संधि से सरोकार रखने वाले और भी हैं लेकिन सब मौन हैं । इतिहास की कोई भी बडी घटना बहुताेंं के सरोकार का विषय होता है लेकिन घटना के बाद इतिहास का लेखन जिस प्रकार से होता है, वह बहुत सारी बातों कोे ओझल में धकेल देता है और और बहुत सारे सरोकारं  धीरे धीरे विस्मृति के आवरण में आच्छादित हो जाते है । नेपाल के इतिहास में सुगौली संधि की घटना भी एक ऐसी ही घटना है ।  वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली सुगौली संधि का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन सरकार से यदि कोई संधि की प्रति मांगे तो जबाब मिलता है कि संधि का दस्तावेज  लापता है । संसद को भी सरकार की तरफ से यही जबाब दिया जाता है । यह एक अजीबोगरीब अवस्था है।  जिस संधि के आधार पर सरकार ने नेपाल का नया नक्शा संसद से पारित करा लिया है , उस सधि  के लापता होने की बात कहाँ तक सच है, ...

क्या स्थानीय तह स्वायत्त हैं

                                                                                                                                     भाग २  स्थानीय तह की स्वायत्तता के बारे में लेख के दूसरे भाग की शुरुवात उन्हीं प्रश्नों के साथ कर रही हूँ जिन प्रश्नों के साथ पहले भाग का अन्त किया था । वे प्रश्न हैं , क्या स्थानीय तह स्थानीय जनता प्रति उत्तरदायी है और क्या स्थानीय तह जनता के नियन्त्रण में है और  क्या स्थानीय तह स्वायत्त हैं और अगर ऐसा है तो उसका मापन कैसे किया जा सकता है ? स्वायत्तता का अर्थ होता है कानून की परिधि के अन्दर अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता।  कानून के शासन की शुरुवात सविधान  से होती है । संघीय संविधान वह पहली  संरचना है ज...

नेपाल में मधेशी दलों के एकीकरण का विषय

(अद्र्ध प्रजातंत्र के लिए संवैधानिक विकास को अवरुद्ध करने का दूसरा आसान तरीका दलो में अस्थिरता और टुट फुट बनाए रखना है । शासक वर्ग यह  बखूबी समझता है कि दलीय राजनीति में दलों को नियंत्रित रखने या आवश्यकता पडने पर  उनके माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनाए रखने के लिए राजनीतिक दल सम्बन्धी कानून और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं पर नियन्त्रण कितना आवश्यक हैं । आज देश में  राजनीतिक अस्थिरता का दोषी ं संसदीय पद्धति को  ठहराया जा रहा है । अस्थिरता खत्म करने के लिए राष्ट्रपतिय पद्धति को बहाल करने की बातें हो रहीं हैं लेकिन अस्थिरता के प्रमुख कारक तत्व राजनीतक दल एवं निर्वाचन आयोग सम्बन्धी कानून के तरफ कि का ध्यान नही जा रहा है। यह निश्चित है कि संसदीय पद्धति के स्थान पर राष्ट्रपतिय अथवा मिश्रित पद्धति की बहाली होने पर गणतांत्रिक नेपाल में एक तरफ फिर से अद्र्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना होगी तो दूसरी तरफ दल एवं निर्वाचन सम्बन्धी हाल ही के कानूनों की निरन्तरता रहने पर राजनीतिक दलों में टूट फूट का क्रम भी जारी रहेगा । तब भी  मधेशवादी लगायत अन्य रा...