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अनिश्चितकालीन अनशन

नेपाल सद्भावना पार्टीद्धारा जनताको संवैधानिक अधिकार रक्षार्थ राखिएको ३० बुँदे माँग पुरा गराउन पार्टी अध्यक्ष मा. सरिता गिरीद्धारा रत्नपार्क (शान्तिवाटिका)मा शुरु गरिएको अनिश्चितकालीन अनशन आज दोश्रो दिन पनि जारी छ ।-From www.nsp-a.blogspot.com

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सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा

 सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा सुगौली संधि फिर से चर्चा में है । वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल के नये नक्शे के मुद्दे को फिर से उठाते हुए १८१६ की सुगौली संधि का एक बार फिर से जिक्र किया है ।  लेकिन इस बारे बोल  सिर्फ प्रधानमंत्री रहे है। इस संधि से सरोकार रखने वाले और भी हैं लेकिन सब मौन हैं । इतिहास की कोई भी बडी घटना बहुताेंं के सरोकार का विषय होता है लेकिन घटना के बाद इतिहास का लेखन जिस प्रकार से होता है, वह बहुत सारी बातों कोे ओझल में धकेल देता है और और बहुत सारे सरोकारं  धीरे धीरे विस्मृति के आवरण में आच्छादित हो जाते है । नेपाल के इतिहास में सुगौली संधि की घटना भी एक ऐसी ही घटना है ।  वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली सुगौली संधि का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन सरकार से यदि कोई संधि की प्रति मांगे तो जबाब मिलता है कि संधि का दस्तावेज  लापता है । संसद को भी सरकार की तरफ से यही जबाब दिया जाता है । यह एक अजीबोगरीब अवस्था है।  जिस संधि के आधार पर सरकार ने नेपाल का नया नक्शा संसद से पारित करा लिया है , उस सधि  के लापता होने की बात कहाँ तक सच है, यह सरकार और नागरिक समाज जाने और समझे । 

नेपाल में मधेशी दलों के एकीकरण का विषय

(अद्र्ध प्रजातंत्र के लिए संवैधानिक विकास को अवरुद्ध करने का दूसरा आसान तरीका दलो में अस्थिरता और टुट फुट बनाए रखना है । शासक वर्ग यह  बखूबी समझता है कि दलीय राजनीति में दलों को नियंत्रित रखने या आवश्यकता पडने पर  उनके माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनाए रखने के लिए राजनीतिक दल सम्बन्धी कानून और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं पर नियन्त्रण कितना आवश्यक हैं । आज देश में  राजनीतिक अस्थिरता का दोषी ं संसदीय पद्धति को  ठहराया जा रहा है । अस्थिरता खत्म करने के लिए राष्ट्रपतिय पद्धति को बहाल करने की बातें हो रहीं हैं लेकिन अस्थिरता के प्रमुख कारक तत्व राजनीतक दल एवं निर्वाचन आयोग सम्बन्धी कानून के तरफ कि का ध्यान नही जा रहा है। यह निश्चित है कि संसदीय पद्धति के स्थान पर राष्ट्रपतिय अथवा मिश्रित पद्धति की बहाली होने पर गणतांत्रिक नेपाल में एक तरफ फिर से अद्र्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना होगी तो दूसरी तरफ दल एवं निर्वाचन सम्बन्धी हाल ही के कानूनों की निरन्तरता रहने पर राजनीतिक दलों में टूट फूट का क्रम भी जारी रहेगा । तब भी  मधेशवादी लगायत अन्य राजनीतिक दल सुशासन और परिव

What triggered the rage?

Some days ago I posted a tweet saying that the national unity can be strengthened in the country by sharing the symbols of dress and language of two different and distinct peoples as the official symbols of Nationalism. What happened immediately after that was surprising as well as shocking. There was a kind of flash flood of tweets directed to me and submerging me. I was getting breathless as I was trying to read each and every one of them. But before I could finish one, another one was there. Huge number of tweets in replies  coming like shells of bomb with super speed was not some thing natural, and as someone tweeted afterwards that nearly 300 tweets per minute were coming to me.They were hurting me and making my soul bleed in pain. I then     realized what  the rage of racism and hatred could be like and how powerful the hidden rage can be when it explodes all of a sudden like a volcano . I also realized that how disastrous the impacts   could be upon a supposedly vulnerabl