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सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा

 सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा सुगौली संधि फिर से चर्चा में है । वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल के नये नक्शे के मुद्दे को फिर से उठाते हुए १८१६ की सुगौली संधि का एक बार फिर से जिक्र किया है ।  लेकिन इस बारे बोल  सिर्फ प्रधानमंत्री रहे है। इस संधि से सरोकार रखने वाले और भी हैं लेकिन सब मौन हैं । इतिहास की कोई भी बडी घटना बहुताेंं के सरोकार का विषय होता है लेकिन घटना के बाद इतिहास का लेखन जिस प्रकार से होता है, वह बहुत सारी बातों कोे ओझल में धकेल देता है और और बहुत सारे सरोकारं  धीरे धीरे विस्मृति के आवरण में आच्छादित हो जाते है । नेपाल के इतिहास में सुगौली संधि की घटना भी एक ऐसी ही घटना है ।  वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली सुगौली संधि का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन सरकार से यदि कोई संधि की प्रति मांगे तो जबाब मिलता है कि संधि का दस्तावेज  लापता है । संसद को भी सरकार की तरफ से यही जबाब दिया जाता है । यह एक अजीबोगरीब अवस्था है।  जिस संधि के आधार पर सरकार ने नेपाल का नया नक्शा संसद से पारित करा लिया है , उस सधि  के लापता होने की बात कहाँ तक सच है, यह सरकार और नागरिक समाज जाने और समझे । 
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  संसद अवरोध का राजनीतक औचित्य “पूर्व सभामुख सुभास नेम्वांग ने कहा था कि संसद अवरोध एक  राजनीतक कदम ह्रै  और इसके औचित्य को ं प्रमाणित करने की जिम्मेवारी संसद अवरुद्ध करने वाले दल की होती है ।” भ्रष्टाचार नेपाल के लिए एक विकराल समस्या बन चुकी है । भ्रष्टाचार का असर अब  आम जनता पर भी दिखने लगा है । इसका उदाहरण सहकारी ठगी प्रकरण है । भ्रष्टाचार का पहला कारण मनुष्य के अन्दर होता है और  यदि वाह््य सामाजिक और राजनैतिक परिवेश भ्रष्टाचार को बढावा देने वाले होते है तब भ्रष्टाचार संस्थागत  होने लगता है । नेपाल में भ्रष्टाचार व्यापक और संस्थागत दोनों है । इसीलिए भ्रष्टाचार के बारे में बातें  तो बहुत होती है लेकिन  समाधान की बातें मृग मरीचिका जैसा ही है ।  भ्रष्टाचार नियन्त्रण के लिए राज्य के अधीन पर्याप्त संस्थाएँ हैं लेकिन वे कारगर नहीं हैं। यह उच्च स्तरीय और दलगत भ्रष्टाचार का  परिणाम है । पिछले कई दशकों में  भ्रष्टाचार ने राजनीति में गहरी पैठा बना ली  है । इसलिए व्यवस्थाएँ  तो बदली हैं लेकिन राजनीतिक भ्रष्टाचार का क्रम यथावत है ।  नेपाल में  ऐसी बहुत कम  संस्थाएँ  होंगी जो भ्रष्टाचार के लपेट

१२वी फेल

 १२वी फेल इस फिल्म में चार बातें वैश्विक प्रकृति की हैं । पहली , बच्चो के चरित्र के निर्माण में परिवार के सदस्यों की भुमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है । दुसरी बात , परिवार के साथ कुछ एैसी बुरी घटना हुई होती है जिससे सबों का जीवन अत्यन्त कठिन हो जाता है । तीसरी बात परिवार से बाहर भी कोई प्ररणा देने वाला रोल माडल होना चाहिए । चौथी अहम बात होती है अच्छे मित्र आरै समझदार जीवन साथी का होना ।  माघ २, २०८० 

महिला, प्रहरी र राजनीति

महिला,  प्रहरी र राजनीति नेपाल प्रहरीले ठाडो निवेदन लिन जहिले पनि तत्पर रहन्छ तर जाहेरी निवेदन लिन बाट भाग्छ  । मेरो अनुभवमा १० वर्ष अघि पनि यस्तै अवस्था थियो र आज पनि ै अवस्था त्यस्तै रहेछ । आखिर किन होला यस्तो।  महिलाहरु का लागि नया संविधान ले ल्याए को परिवत्र्तन शुन्य जस्तै लाग्छ । म मेरो जाहेरी लिएर जांदा एक जना महिला संग भेंट भयो । मरन्नासन्न हुने गरी यसको पति ले कुट्छ, गोठालो मा सुत्न लगाउंछ र रात भरी अस्पताल मा भर्ना भएर प्रहरी कहाँ पुग्दा प्रहरी ले निवेदन वा जाहेरी लिन मान्दैन । यो क्रम ४ वर्ष देखि चली रहेको छ । तर स्थितिमा सुधार छैन । पति पहिला पुलिस कर्मचारी थियो । पुलिस ठाडो निवेदन लिन मान्दछ किन भने त्यहाँ मेलमिलापको नाममा चल खेल र राजनीति हुन्छ र समाजका गरीब तबका का व्यक्तिहरु लाई दबाइन्छ । महिलाले घर र समुदाय मा पनि दमन र प्रहरी कार्यालय मा पनि दमन मा पर्ने अवस्था विद्दमान छ । । अहिलेको नगरपालिका मा रहेको प्रहरी कार्यालय मेयर, ,उपमेयर र सीडीओ को सहमति र आदेश बेगर केही गद नन। कानुन को शासनको अवधारणा  कल्पना नै हो जस्तो लाग्न थालेको छ ।   अहिले कानुन लाई कमजोर पार्नमा सबै भ

बीनु यादव को कथा

 यो बीनु यादव को कथा हो । कथा त होईन , यथार्थ हो तर राज्यका लागि यो कथा जस्तै हो जस्तो लाग्छ । अनि त राज्य रमाई रहेको छ । उनी लगभग १० दिन देखि न्याय का लागि माइती घर मंडालामा अनशन मा बसेकी छिन । पाँच वर्ष देखि उनी न्यााय का लागि परीक्षा दिई रहे की छिन, संघर्ष मात्र गरी रहेकी छैनन । कहिले विष सेवन गरी त कहिले अदालत समक्ष आफ्नो जीवमा रातो रंग छरी त कहिले अनशन मा बसी उनको संघर्ष जारी रहेको छ । योृ त सार्वजनिक भएकाकेही  ठुला घटनाहरु हुन । त्यस बाहेक हरेक दिन समाजको कठोर आँखा समक्ष विभेदकारी राज्यको अदालत र प्रहरी कार्यालय दौडदै हरेक पल उनी माथि के बीतेको होला , त्यस बारे सबैले अनुमान पनि गर्न सक्दैनन । उनी अहिले फेरी  गहिरो पीडा र परीक्षा बाट  गुज्री रहेकी छिन र अनशन स्थलमानै आत्म दाहको कुरा पनि गरी रहे की छिन। सार्वजनिक रुपमा कुनै महिलाले आत्मदाहको कुरा गर्न थाले पछि पनि राज्य निर्मम भई हेरी रहेको छ।   उनको कथा प्रष्ट उदाहरण छ कि एक जना महिला लाई प्रेमको नाटक गरी कसरी शोषण र तिरस्कारको दुक्ष्छक्रमा फंसाउन सकिन्छ । एक जना पुरुषले दुई वर्ष पुरानो मित्रताको बीचमा बलात्कार गर्यो  र उनी प्रहरी

माननीय उपेन्द्र यादव जी के नाम खुला पत्र

 माननीय उपेन्द्र यादव जी के नाम खुला पत्र माननीय उपेन्द्र यादव जी , For a colonized people the most essential values, because the most concrete , is first and foremost the land: the land which will bring them bread and ,above all, dignity. Frantz Fanon    के इस कथनका मैं यहाँ व्याख्या नहीं करुंगी । आप स्वयं अध्ययनशील हैं ।आप मधेश विद्रोह के नायक केरुप में जाने जाते हैं । पिछले १५ सालों से निरन्तर सत्ता में हैं । मधेशियो में गरीबी, बेरोजगारी और शोषण की समस्या यथावत है । मधेश प्रदेश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है । बच्चों की नागरिकता की समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है। हम जैसी महिलाओं की नागरिकता के अधिकार की कटौती में आपकी प्रमुख भुमिका रही है । अपने सत्ताके लिए आपने हमलोगों को भारतीय साबित करने की कोशिश की । मधेश के परिवार ऋण में डुबे हुए हैं । युवाओं से मैन पावर कम्पनी ३ से ४ लाख रुपैया अवैध तरीके ले रही है और परिवार सुदखोरों के चपेट में घिरते जा रहे हैं। शिक्षा का स्तर मधेश में गिरते जा रहा है । खुले आम बच्चे चोरी कर पास या फेल  हो रहे हैं। आप अधिकार प्राप्ति की बात कर रहे हैं

मेरो चुनावी घोषणा पत्र , प्रतिनिधि सभा सदस्य निर्वाचन २०७९

  मेरो चुनावी घोषणा पत्र प्रतिनिधि सभा सदस्य निर्वाचन २०७९ +19 10 10