धुँवे का घर
हमारी राख से निकले धुँवे से
बनी तुम्हारी घर की दीवारें।
धुवें की दीवारों को गायब होने मे समय नही लगता है ।
इसीलिए नये घर की खोज में सब लगे हैं।
लेकिल अभी हम पुरे जले नहीं हैं
साँस अभी बाँकी है ।
धरती की नींव भी अभी बाँकी है ।
धरती से उपर इधर उधर
बिखरे टुकडो को हम समेट रहे हैं।
नयी दीवारों को बनाने की खातिर ।
हमारे नये मुहिम में
बहुत सारे नये हाथ हमसे जुट चुके हैं।
सरिता
12.10.2070
हमारी राख से निकले धुँवे से
बनी तुम्हारी घर की दीवारें।
धुवें की दीवारों को गायब होने मे समय नही लगता है ।
इसीलिए नये घर की खोज में सब लगे हैं।
लेकिल अभी हम पुरे जले नहीं हैं
साँस अभी बाँकी है ।
धरती की नींव भी अभी बाँकी है ।
धरती से उपर इधर उधर
बिखरे टुकडो को हम समेट रहे हैं।
नयी दीवारों को बनाने की खातिर ।
हमारे नये मुहिम में
बहुत सारे नये हाथ हमसे जुट चुके हैं।
सरिता
12.10.2070
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