भारतीय नक्कली रुपयों का अवैध कारोबार और काठमांडू
आज भारतीय नकली रुपयों के कारोबार में फिर से गिरफतारी हुई है । इस बार चुनाव के दौरान मधेश को और भी नजदीक से जानने समझने का मौका मिला। आज से कुछ वर्षो पहले तक काठमांडू या काठमांडू से बाहर बैंकों में भारतीय रुपया आसानी से मिल जाता था ,लेकिन अब वैसा नहीं है । कहा जाता है कि पर्याप्त भारतीय रुपये बैंकों के पास नहीं है । शायद सिर्फ बडे व्यापारियों को व्यापार करने के नाम पर भारतीय रुपैया उपलब्ध कराया जाता है । लेकिन फिर सीमावत्र्ती क्षेत्र में १६० रुपये की जगह १६५,१७० या फिर उससे भी ज्यादा नेपाली रुपया देकर १०० भारतीय रुपैया खरीदा जाता है ।
मेरा अपना अनुमान यह है कि बडे व्यापारियों को जो भारतीय रुपैया व्यापार के नाम पर उपलब्ध होता है , उन्ही रुपयों का व्यापार सीमा क्षेत्र पर व्यापारी कर अपनी पूंजी की अभिवृद्धि करते हैं । यानि कि जो सुविधा बैंको को उपलब्ध कराना चाहिए था, वह सेवा अनधिकृत नीजि क्षेत्र की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है और यह निश्चित रुप से काफी फायदेमंद व्यापार भी जान पडता है और आम आदमी के शोषण पर आधारित इस व्यापार का मुनाफा नीति निर्माता सहित और भी बहुत लोगों के बीच शायद बँटता होगा।
इसी बीच भारतीय नकली रुपयों के कारोबार के बारे में इस बार समाचार सुनने के बाद मन में यह सोच आया है कि नेपाल बैंक की नीति का फायदा उठाकर सीमावत्र्ती क्षेत्रों मे भारतीय रुपयों की खरीद बिक्री का हाल चल रहे व्यापार से भारतीय नकली रुपयों के आपराधिक व्यापार को बहुत ही सहुलियत होती होगी । क्या काठमांडू को इसकी जानकारी नही होगी ?
आज भारतीय नकली रुपयों के कारोबार में फिर से गिरफतारी हुई है । इस बार चुनाव के दौरान मधेश को और भी नजदीक से जानने समझने का मौका मिला। आज से कुछ वर्षो पहले तक काठमांडू या काठमांडू से बाहर बैंकों में भारतीय रुपया आसानी से मिल जाता था ,लेकिन अब वैसा नहीं है । कहा जाता है कि पर्याप्त भारतीय रुपये बैंकों के पास नहीं है । शायद सिर्फ बडे व्यापारियों को व्यापार करने के नाम पर भारतीय रुपैया उपलब्ध कराया जाता है । लेकिन फिर सीमावत्र्ती क्षेत्र में १६० रुपये की जगह १६५,१७० या फिर उससे भी ज्यादा नेपाली रुपया देकर १०० भारतीय रुपैया खरीदा जाता है ।
मेरा अपना अनुमान यह है कि बडे व्यापारियों को जो भारतीय रुपैया व्यापार के नाम पर उपलब्ध होता है , उन्ही रुपयों का व्यापार सीमा क्षेत्र पर व्यापारी कर अपनी पूंजी की अभिवृद्धि करते हैं । यानि कि जो सुविधा बैंको को उपलब्ध कराना चाहिए था, वह सेवा अनधिकृत नीजि क्षेत्र की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है और यह निश्चित रुप से काफी फायदेमंद व्यापार भी जान पडता है और आम आदमी के शोषण पर आधारित इस व्यापार का मुनाफा नीति निर्माता सहित और भी बहुत लोगों के बीच शायद बँटता होगा।
इसी बीच भारतीय नकली रुपयों के कारोबार के बारे में इस बार समाचार सुनने के बाद मन में यह सोच आया है कि नेपाल बैंक की नीति का फायदा उठाकर सीमावत्र्ती क्षेत्रों मे भारतीय रुपयों की खरीद बिक्री का हाल चल रहे व्यापार से भारतीय नकली रुपयों के आपराधिक व्यापार को बहुत ही सहुलियत होती होगी । क्या काठमांडू को इसकी जानकारी नही होगी ?
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