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....मैं कौन हूँ.....

....मैं कौन हूँ.....


मैं सपना हूँ,साँस हूँ,
शरीर हूँ, जीवन हूँ  ।

मेरा नाम भी है
इतिहास भी ,
और पहचान भी ।
एक नहीं,बहुत ।

लेकिन यह सब
मेरा पूरा अपना नहीं है।

वहाँ मै भी हूँ ,
तुम भी हो,
और भी  बहुुत सारे लोग हैं।
वहाँ बहुत सारी बातें भी हैं,
और बहुत सारी यादें भी ।

वहाँ भीड भी है,
और एकान्त भी ।
वहाँ साथ भी है,
और अकेलापन भी ।
वहाँ सुख भी है,
और दर्द भी ।
वहाँ घमंड भी है
और समर्पण भी।
वहाँ शक्ति भी है
और हीनता भी।
वहाँ शब्द भी है
और मौनता भी ।

इन सबके बीच
मेरा निज
तो बस
मेरी साँसे, मेरी यादेें
मेरा शरीर और मेरा जीवन है।

ल्ेकिन इन सबसे परे
मैं एक सोच भी हूँ
और एक भाव भी ।
सपना तो मै हूँ ही।

मेरे भाव
मेरी सोच
और मेरे सपने
जिन्हे पूरा का पूरा  तुम भी नही जान पाओगे,
कोई और भी नहीं जान पायेगा ।

मैं भाव भी हूँ,
सपना भी और सोच भी,
व्यक्त और अव्यक्त।।
..................................

Comments

  1. Dear Sarita Ma'am

    I just wrote a long comment which got wiped out. Forgive me I shall start again.

    My name used to be Samragi Bhattacharjee. I was a bespectacled naughty student of yours at Modern Indian School. My mother Indrani Bhattacharjee was also a teacher. I used to visit you to study and play with Rahul and Ishita. You were always kind and encouraging. I remember you making hot cups of tea and giving us all biscuits.

    I have been crying all day sering heartbreaking news from Kathmandu. I hope you are all okay.

    If you are not the teacher who taught me and this message has gone to you in error please forgive me. Somewhere out there is a lady called Sarita Giri - my teacher and my idol.

    With much love
    Samragi
    samragidebi@gmail.com

    ReplyDelete
  2. हई बुढिया, ट्वीटर पे की की लिखैछी ? लाज नाई लगत तोहोरा के ? आ मुआ ऐसी ऐसी लिखल के तोहोरा के बुध्धि आ माथा मार गइल ह का ? आ हिन्दी मे भी कविता लिखली ए ?

    ReplyDelete

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