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गणतंत्र में लोकतंत्र


गणतंत्र में लोकतंत्र
अंततोगत्वा संविधान सभा निर्वाचन के लिए निर्वाचन आयोग में पार्टी की तरफ से उम्मीदवार मनोनयन की तिथि और समयावधि को बढाने की बात तय हो चुकी है । शायद कल निर्वाचन आयोग नयी तिथि की घोषणा कर दे । सरकार के द्वारा तय की गयी मतदान की तिथि के दो महिना पहले निर्वाचन को लेकर उच्चस्तरीय राजनीतिक समिति, चुनावी सरकार और निर्वाचन आयोग ने जिस तरह से पूरे देश को बंधक बना कर रखा है उससे स्पष्ट होता है कि निर्वाचन देश और जनता के लिए नहीं बल्कि  मूलतः इनकी आवश्यकताओं और इनकी वैधानकता के संकट को दूर करने के लिए होने जा रहा है । निश्चित रुप से उम्मीदवार मनोनयन की तिथि में परिवत्र्तन असंतुष्ट ३३ दलों को सहमत कराने के लिए नहीं हो रहा है । यह परिवत्र्तन इस लिए हो रहा है कि समिति के प्रमुख ४ दल अभी स्वयं निर्वाचन के लिए तैयार नहीं हैं । शायद निर्वाचन आयोग भी अभी आवश्यक तैयारी नहीं कर पाया है । लेकिन इनके व्यवहार से ऐसा लगता है कि हम अभी भी अधिनायकवादी सत्ता के अद्र्ध नागरिक  हैं।
2070.6.2
KTM

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