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निर्वाचन का प्रयोग रुपान्तरण के लिए

निर्वाचन का प्रयोग रुपान्तरण के लिए 


देश हमारा है । हम क्यों विभाजन करेंगे । गोपालवंशी और लिच्छवी काल से ही हमारे पुर्वजो.ने इस देशको बनाया है । विभाजन का कारण विभेद होता है । हमारा संघर्ष १८१६ की संधि के अनुसार विभेद को जड से समाप्त करने के लिए होना चाहिए । तराई मधेश १८१६ और १८६० की संधि के अनुसार नेपाल के भाग हुए हैं । उसके पहले नेपाल मुलतः एक पहाडी राज्य था ।  उसी ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार तराई मधेश और पहाड दो अलग प्रदेश की आवाज मैं उठा रही हुँ । इतिहास का यह तथ्य ही हमारे सघर्ष का आधार होना चाहिए। जो समुदाय इतिहास के तथ्य और सत्य और संघर्ष को भूल जाती है, उसको कभी भी मुक्ति नहीं मिलती है । मुक्ति के लिए रुपान्तरण चाहिए ।  रुपान्तरण तभी सम्भव होगा जब उन आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में परिवत्र्तन होगा जिनके कारण हम शोषित हैं , हम गरीब हैं और हम गुलाम है. । 

देश हमारा है । हमारा संभर्ष देश की एकता और सम्प्रभुता को बचाने के लिए है । हमारा संघर्ष समानता और भाइचारा के लिए है । जिस देश में सभी नागरिक स्वतन्त्र नहीं होते हैं, वह देश कभी भी स्वाधीन नहीं हो सकता है ।  हमारा संघर्ष गुलामी के अन्त के लिए है । हमारा संघर्ष समानता के लिए है ।  डरिए मत और घबराइए मत । संघीयता तो आया है लेकिन सत्ता आज भी आपके हाथ में नहीं है । सघीयता तभी सार्थक होगा , जब हमको अपना प्रदेश मिलेगा। अपने प्रदेश की सत्ता लेने की तैयारी कीजिए । दासता की मानसिकता से निकलिए । हमारा संघर्ष उन संरचनाओं में परिवत्र्तन के लिए होना चाहिए  जो गुलामी और दासता के कारण है.। मैने जो संसद में बोला था, मेरी राजनीति का प्रस्थान बिंदु वही है । मैंने सत्य को जब  संसद में रखा , मैं बहुत हद तक मानसिक और भावनात्मक रुप से स्वतन्त्र हो गई ।, अप भी स्वतन्त्र होने की अनुभूति कर  सकते है ।  निर्वाचन आ प्रयोग अपनी व्यक्तिगत और भावनात्मक स्वतन्त्रता के लिए कीजिए । बिना कर्मके कुछ भी नहीं मिलता है ।   निर्वाचन में मतदान सतकर्म के लिए कीजिए । निर्वाचन मे मतदान स्वतन्त्रता के लिए कीजिए । निर्वाचन का प्रयोग आन्दोलन के लिए कीजिए  । 

जय नेपाल 

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