....मैं कौन हूँ..... मैं सपना हूँ,साँस हूँ, शरीर हूँ, जीवन हूँ । मेरा नाम भी है इतिहास भी , और पहचान भी । एक नहीं,बहुत । लेकिन यह सब मेरा पूरा अपना नहीं है। वहाँ मै भी हूँ , तुम भी हो, और भी बहुुत सारे लोग हैं। वहाँ बहुत सारी बातें भी हैं, और बहुत सारी यादें भी । वहाँ भीड भी है, और एकान्त भी । वहाँ साथ भी है, और अकेलापन भी । वहाँ सुख भी है, और दर्द भी । वहाँ घमंड भी है और समर्पण भी। वहाँ शक्ति भी है और हीनता भी। वहाँ शब्द भी है और मौनता भी । इन सबके बीच मेरा निज तो बस मेरी साँसे, मेरी यादेें मेरा शरीर और मेरा जीवन है। ल्ेकिन इन सबसे परे मैं एक सोच भी हूँ और एक भाव भी । सपना तो मै हूँ ही। मेरे भाव मेरी सोच और मेरे सपने जिन्हे पूरा का पूरा तुम भी नही जान पाओगे, कोई और भी नहीं जान पायेगा । मैं भाव भी हूँ, सपना भी और सोच भी, व्यक्त और अव्यक्त।। ..................................