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तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा



लोकतंत्र,मानवाधिकार,संसदीय शासन प्रणाली,समानुपतिक और समावेशी प्रतिनिधित्व, समन्यायिक विकास लिए
तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक अभियान  
घोषणा कार्यक्रम ः तिथि २.६.२०७७
लहान, सिरहा


अभियान का औचित्य और लक्ष्यः


१  यह सर्वविदित है कि तराई मधेश की सम्पूर्ण भूमि नेपाल तथा साम्रज्यवादी अंग्रेजों के बीच हुई सन् १८१६ तथा १८६० की दो संधियों के तहत नेपाल का हिस्सा बना है  । नेपाल के संसद से इस वर्ष आषाढ ३१ गते के दिन १८१६ की सुगोली संधि के अनुसार  नेपाल का नया नक्शा पारित होने के बाद उक्त  संधि अब हमारे लिए मात्र इतिहास नहीं बल्कि वत्र्तमान भी बन चुका है । उस संधि के तहत हुए एक समझौते के अनुसार नेपाल में मधेशियों के प्रति हरेक प्रकार का दमन, शोषण तथा विभेद वर्जित है । लेकिन संधि के २२० सालों के बाद भी नेपाल में मधेश की अवस्था एक उपनिवेश की तरह है और मधेशियों का शोषण और दमन आज भी जारी है । सुगौली संधि के अक्षर और मर्म के अनुसार मधेशियों के प्रति हो रहे हरेक प्रकार का शोषण तथा दमन का  अन्त तराई मधेश वृहत लोकतांत्रिक अभियान का प्रमुख लक्ष्य है ।


हम स्पष्ट हैं कि मधेशियों को तराई मधेश में जब तक स्वशासन का अधिकार प्राप्त नहीं होगा तबथक मधेश स्वाधीन नहीं होगा । जब तक केन्द्र में जनसंख्या के आधार पर मधेश का प्रतिनिधित्व नही. होगा, तब तक मधेशी देश के समान तथा स्वतंत्र नागरिक नहीं बन पाएंगे और देश के साधन श्रोत पर उनका नियन्त्रण नहीं होगा ।  मधेश आज स्वाधीन होना चाहता है लेकिन  मधेश को स्वाधीनता राज्य संरचना में आधारभूत पवित्र्तन के बिना प्राप्त नही हो सकती है । २१ वीं शताब्दी में  मधेश की स्वाधीनता की पहली शत्र्त मेची से महाकाली तक के तराई मधेश की भूमिको  समेट कर एक प्रदेश का निर्माण है । अतः १८१६  और १८६० की ऐतिहासिक संधियोंं के आधार पर “तराई मधेश एक समग्र प्रदेश” का निर्माण  हमारे अभियान का प्रमुख उद्देश्य है ।
समानता, भातृत्व तथा सम्पन्नता के लिए पूरे नेपाल में पहाड तथा तराई मधेश सिर्फ दो प्रदेश आवश्यक हैं । दोनोंं प्रदेशों की अपनी संसद, अपने प्रधानमंत्री तथा अपनी सरकारें होनी चाहिए । साथ ही राष्ट्रिय एकता के लिए दोनों प्रदेशों की सहभागिता से एक राष्ट्रिय संसद तथा  राष्ट्रिय प्रधानमंत्री तथा संवैधानिक राष्ट्रपति की व्यवस्था होनी चाहिए । इस प्रकार के संघीय स्वरुप का जीता जागता स्वरुप आज का ब्रिटेन है जहाँ राष्ट्रिय संसद के साथ साथ  स्काटलैंड और उत्तरी आयरलैंड प्रदेशों का अपना संसद, अपनी सरकार और अपने प्रधानमंत्री हैं । अतः तराई मधेश की सम्पूर्ण जनता से हम अपील करते हैं कि समानता, स्वतंत्रता , भातृत्व और स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए एकबद्ध हो हाल की संघीय संरचना को बदल कर  मधेश में एक  प्रदेश के निर्माण के महाअभियान में लगें ।
“दासता की जंजीरें तभी टुटेगी और
तब ही साकार होंगे, सुख समृद्धि और समानता के सपने
जब होंगे  
“देश में मात्र दो प्रदेश  
तराई मधेश एक समग्र प्रदेश और पहाड बने एक अलग प्रदेश ।”
२. संविधान संशोधन कर संसदीय प्रणाली की जगह राष्ट्रपतीय शासन प्रणाली बहाल करने का प्रयास केन्द्र में हो रहा है। राष्ट्रपतीय शासन प्रणाली लागू होने पर देश में अधिनायकवाद लागू हो जाएगा और मधेश में कठोर औपनिवेशिक शासन लागू हो जाएगा । संघीयता तब संविधान के पन्नों में मात्र सीमित रह जाएगा ।  अतः  संघीयता की रक्षा के लिए हम  संसदीय प्रणाली की पक्ष में रहेंगे ।
३.देश में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है क्योकि संविधान और कानून की जगह पार्टी, प्रशासक और पुलिस का शासन देश में चल रहा है । कुशासन के कारण देश की जनता असुरक्षित है । कोरोना संकट के दौरान  यह और भी स्पष्ट हो गया है । संवैधानिक निकाय संविधान अनुरुप स्वतंत्र ढंग से काम नही. कर रहे हैं । भ्रष्टाचार के बडे मुद्दों के बारण देश और  अर्थतंत्र नाजुक अवस्था में हैं । भ्रष्टाचार नियन्त्रण नहीं हो रहा है क्योंकि  सरकार स्वयं भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही हैं । अख्तियार दुरुपयोग नियन्त्रण आयोग को सरकार ने निकम्मा बना दिया है । हम संवैधानिक आयोगों की स्वतंत्रता तथा स्वायतत्ता के पक्ष में हैं और राज्य संरक्षित भ्रष्टाचार का विरोध करते हैं । भाग बंंडे के आधार पर आयोगों और न्यायालय मे नियुक्ति का हम विरोध करते हैं ।
४.संविधान और कानून के विपरीत बहुमत के बल पर राजनीतिक दल के शासन का हम विरोध करते हैं। साथ ही बहुमत के बल पर संविधान विपरीत बने कानूनों की खारेजी की हम मांग करते हैं ।
५. नेपाल में मधेश के अस्तित्व का एक प्रमुख आधार भारत के साथ सनातन काल से स्थापित आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा रोटी और बेटी के सम्बन्धं हैं । लेकिन राज्य तरह तरह के प्रहार कर इन सम्बन्धों को कमजोर करने में लगा है । इन सम्बन्धों की रक्षा और सुदृढीकरण  के लिए हम कृत संकल्प हैं ।  
६.नेपाल और मित्र देश भारत के बीच विद्दमान खुली सीमा दोनों देशों की जनता के सहज जीवन और सामथर््य का आधार है । दोनों देशों की जनता के सामाजिक तथा आर्थिक  विकास  तथा सहज जनजीविका के अधिकार की सुरक्षा के लिए हम खुली सीमा की निरन्तरता के लिए प्रतिबद्ध हैं ।
७. नेपाल का विभेदकारी संविधान २०७२ मधेश को स्वीकार्य नहीं है । अपने लक्ष्यों की प्राप्ति न होने तक संविधान दिवस ,अषोझ ३ गते को हम काले दिवस के रुप में मनाते रहने की घोषणा करते हैं । 


तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा

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