प्रेस विज्ञप्ति
१.यही अषोझ २३, २०७७ मा विभिन्न संचार माध्यम मा आएका खबर अनुसार नेपाल चीन सीमाना मा रहेका सीमा स्तम्भ को अनुगमन गर्न गएको नेपाली टोली ५,६,७ र ८ को अनुगमन गरी ९ नम्बर को सीमास्तम्भ नजीक पुगे पछि चिनिया सुरक्षाकर्मीले नेपाली भूभागमा प्रवेश गरी अनुगमन टोली माथि अश्रु ग्यास प्रहार गरेका छन र उक्त आक्रमण मा नाम्खा गाँवपलिकाको उपाध्यक्ष पेमा लाम्बा सामान्य घाइते पनि हुनु भएको छ। चिनिया सरकार को यस्तो आक्रमणकारी नीतिको हामी घोर विरोध गर्दछौं । साथै यस घटना बारे सरकार ले तुरन्त जनता लाई आधिकारिक जानकारी गराउन मांग गर्दछु ।
२.नेपाल सरकार ले मुलुकको उत्तरी सीमाना को सुरक्षा गर्न सकी रहेको छैन भन्ने कुरा प्रष्ट हुंदै गई रहेको छ । सगरमाथा माथि पनि चीनले अधिपत्य जमाई सकेको कुरा संचारमाध्यम मा आएका छन तर सरकार ले यस विषय बार्े पनि अहिले सम्म मौनता धारण गरेको छ । हिमाली भेग का ६ जिल्लामा चीन ले नेपालको भूभाग कब्जा गरेको विभिन्न सरकारी आँकडा ले पनि देखायी रहेको छ। यस परिस्थिति मा यदि नेपाल सरकार स्वयं नेपाल चीन बीचको उत्तरी सीमाना को सुरक्षा गर्न सकी रहेको छैन भने सरकार ले १९५० को भारत संग को मित्रता र शांति सहमति अनुसार भारत सरकारको सहयोग लिई पनि सीमाना को सुरक्षा गर्न मांग गर्दछु ।
३. डां गोविन्द केसी जीको अनशन प्रति पूर्ण समर्थन जनाउंदै छु । सरकार ले विगत मा डा. केसी संग गरे का सम्पूर्ण सहमति को पालना गर्दै डा. के सी को जीवन र सम्मान को रक्षा गरनु पर्दछ।
सरिता गिरी
संयोजक , तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा
१० अक्टूबर, २०२०
अषोझ २४, २०७७
सुगौली संधि और तराई के मूलबासिंदा सुगौली संधि फिर से चर्चा में है । वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल के नये नक्शे के मुद्दे को फिर से उठाते हुए १८१६ की सुगौली संधि का एक बार फिर से जिक्र किया है । लेकिन इस बारे बोल सिर्फ प्रधानमंत्री रहे है। इस संधि से सरोकार रखने वाले और भी हैं लेकिन सब मौन हैं । इतिहास की कोई भी बडी घटना बहुताेंं के सरोकार का विषय होता है लेकिन घटना के बाद इतिहास का लेखन जिस प्रकार से होता है, वह बहुत सारी बातों कोे ओझल में धकेल देता है और और बहुत सारे सरोकारं धीरे धीरे विस्मृति के आवरण में आच्छादित हो जाते है । नेपाल के इतिहास में सुगौली संधि की घटना भी एक ऐसी ही घटना है । वत्र्तमान प्रधानमंत्री ओली सुगौली संधि का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन सरकार से यदि कोई संधि की प्रति मांगे तो जबाब मिलता है कि संधि का दस्तावेज लापता है । संसद को भी सरकार की तरफ से यही जबाब दिया जाता है । यह एक अजीबोगरीब अवस्था है। जिस संधि के आधार पर सरकार ने नेपाल का नया नक्शा संसद से पारित करा लिया है , उस सधि के लापता होने की बात कहाँ तक सच है, ...
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