समग्र तराई मधेश एक प्रदेश ः हमारी पहली आवश्यकता (पहलें संघीयता को अस्वीकार करना तथा बाद में मधेश आन्दोलनका दमन, संविधान सभा १ का विघटन और फिर बंदूक की नोक पर ं २०७२ का विभेदकारी संविधान जारी होना कुछ ऐसी घटनाएँ हैं जिन्होने मधेशी समुदाय की मानसिकता को पहाडी सत्ता से अलग कर दिया है । महात्मा गाँधी ने कहा था कि जब अंग्रेजो ने जन भावना के खिलाफ बंगाल का विभाजन कर दिया था तो उस घटना ने भारतीय जनमानस को अंग्रजों से अलग कर दिया था । नेपाल में मधेश के साथ घटित कुछ घटनाओं का प्रभाव मधेशियों के मन मस्तिष्क पर कुछ वैसा ही है । ) १२ बूंदे की सहमति के बाद २०६२ ÷६३ का जन आन्दोलन एक निष्कर्ष पर पहुँच चुका था । राजा के द्वारा विघटित संसद की पुनस्र्थापना हुई थी तथा अन्तरिम संविधान बनने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी । जनआन्दोलन के दौरान मधेश की मुख्य मांगे नागरिकता समस्या का समाधान,संघीय शासन प्रणाली की बहाली तथा पूरे देश में जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण था । ल्ेकिन जब संविधान माघ १ गते लागू हुआ था तब उसमें नागरिकता का नया कानून तो लाया गया था