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Showing posts from September, 2020

समग्र तराई मधेश एक प्रदेश ः हमारी पहली आवश्यकता

                             समग्र तराई मधेश एक प्रदेश ः हमारी पहली आवश्यकता (पहलें संघीयता को अस्वीकार करना तथा बाद में मधेश आन्दोलनका दमन, संविधान सभा १ का विघटन और फिर बंदूक की नोक पर ं २०७२ का विभेदकारी संविधान जारी होना कुछ  ऐसी घटनाएँ हैं जिन्होने मधेशी समुदाय की मानसिकता को  पहाडी सत्ता से अलग कर दिया है ।  महात्मा गाँधी ने कहा था कि जब अंग्रेजो ने जन भावना के खिलाफ बंगाल का विभाजन कर दिया था तो उस घटना ने भारतीय जनमानस को अंग्रजों से अलग कर दिया  था । नेपाल में मधेश के साथ घटित  कुछ  घटनाओं का प्रभाव मधेशियों के मन मस्तिष्क पर कुछ वैसा ही है । )   १२ बूंदे की सहमति के बाद २०६२ ÷६३ का जन आन्दोलन  एक निष्कर्ष पर  पहुँच चुका था । राजा के द्वारा विघटित संसद की पुनस्र्थापना हुई थी तथा अन्तरिम संविधान बनने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी । जनआन्दोलन के दौरान मधेश की मुख्य मांगे  नागरिकता समस्या का समाधान,संघीय शासन प्रणाली की बहाली तथा पूरे देश में जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण था ।  ल्ेकिन जब संविधान माघ १ गते लागू हुआ था तब उसमें नागरिकता का नया कानून तो लाया गया था

हुम्ला जिल्लाको लिमी र लाप्चा मा अनधिकृत भवन निर्माण

  प्रेस विज्ञप्ति १.हुम्ला जिल्लाको लिमी र लाप्चा बीच नेपाल को भूमिमा चिनिया पी एल ए ले ९ वटा अनधिकृत भवन निर्माण गरकोे समाचार यताका केही दिन मा संचार माध्यम मा निरन्तर आई रहेकोे र नेपाल को टोली त्यहाँ गएर स्थिति बुझन खोज्दा “यो चीन को भूभाग हो र वात्र्ता गर्ने हो भने सीमा मा वात्र्ता गर्ने “भनी उक्त भवन बाट माइक मार्फत संदेश प्रवाह गरे को समाचार प्रति सबैको गम्भीर ध्यानाकर्षण भएको छ । नेपाल सरकार ले उत्तरी छिमेकी प्रति भक्ति भाव देखाउंदै तिब्बत संग भएको नेपाल को सीमानाको सुरक्षा लाई बेवास्ता गर्दै आएकोले यस्तो परिणाम देख्नु परे को सजिलै बुझ्न सकिन्छ । विगतमा गोरखा जिल्लाको रुई गाउँ स्थानीय जनता ले गराएको जनमत संग्रह बाट चीनको भाग हुन गएको दुखद वृतान्त हामीले विदेश मंत्री मा. प्रदीप ज्ञवाली मार्फत थाहा पाई सकेका छौंं । यस्ता घटना हरु नेपाल सरकारले बेवास्ता गर्दै गएमा यो क्षेत्रीय असंतुलन को कारण भई नेपाल क्षेत्रीय द्वन्द मा समेत फँस्न सक्दछ । २.इतिहास कहिले पनि बिर्सर्नु हुन्न न। भारत र चीन बीच १९६२ मा युद्ध हुंंदा तत्कालीन राजा महेन्द्र ले सन् १९५० को भारत संग भए को संधि अनुसार नेप

तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा प्रेस विज्ञप्ति १

  तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा प्रेस विज्ञप्ति १ प्रेस विज्ञप्ति १.गत अषोझ २ गते दुई राजनीतक दल र लगभग ५० जना स्वतंत्र व्यक्ति आबद्ध भई तराई मधेश वृहत लोकतांत्रिक मोर्चा गठन गरे का छौं । श्री राजेन्द्र सिंह अध्यक्ष तथा श्री रामकुमार महतो कार्यवाहक अध्यक्ष रहेको नेपाल सद्भावना पार्टी र श्री गोवद्र्धन दास अध्यक्ष रहेको दलित मुस्लिम जनशक्ति पार्टी यस मोर्चा का सदस्य हुन । हिजो अषोझ ७ गते का दिन श्री रीतेश सिंह अध्यक्ष रहेको राष्ट्रिय जनता पार्टी -लोकतांत्रिक पनि यस मोर्चामा आबद्ध भए को जानकारी गराउंदै छु । मोर्चा मा राजनीतक, बोद्धिक एवं सामाजिक व्यक्ति, सामाजिक संघ संस्था, विकास समूह तथा राजनीतक दल आबद्ध हुन सक्ने छन । यो मोर्चा एउटा वृहत समूह को रुपमा कार्य गर्ने छ । २.मोर्चा लोकतंत्र , संसदीय शासन प्रणाली को रक्षा गर्दै संघीय संरचना को स्वरुप परिवत्र्तन गरी देश मा मधेश र पहाड मात्र दुई प्रदेश को निर्माण का लागि क्रियाशील रहने छ । १.यस प्रेस विज्ञप्तिका साथ अषोझ २ गते जारी गरे को घोषणा पत्र पनि संलग्न गरिए को छ। संयोजक ,सरित ागिरी तराई मधेश वृहत लोकतांत्रिक मोर्चा मिति ०७.।०६।

तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक मोर्चा

लोकतंत्र,मानवाधिकार,संसदीय शासन प्रणाली,समानुपतिक और समावेशी प्रतिनिधित्व, समन्यायिक विकास लिए तराई मधेश वृहत् लोकतांत्रिक अभियान   घोषणा कार्यक्रम ः तिथि २.६.२०७७ लहान, सिरहा अभियान का औचित्य और लक्ष्यः १  यह सर्वविदित है कि तराई मधेश की सम्पूर्ण भूमि नेपाल तथा साम्रज्यवादी अंग्रेजों के बीच हुई सन् १८१६ तथा १८६० की दो संधियों के तहत नेपाल का हिस्सा बना है  । नेपाल के संसद से इस वर्ष आषाढ ३१ गते के दिन १८१६ की सुगोली संधि के अनुसार  नेपाल का नया नक्शा पारित होने के बाद उक्त  संधि अब हमारे लिए मात्र इतिहास नहीं बल्कि वत्र्तमान भी बन चुका है । उस संधि के तहत हुए एक समझौते के अनुसार नेपाल में मधेशियों के प्रति हरेक प्रकार का दमन, शोषण तथा विभेद वर्जित है । लेकिन संधि के २२० सालों के बाद भी नेपाल में मधेश की अवस्था एक उपनिवेश की तरह है और मधेशियों का शोषण और दमन आज भी जारी है । सुगौली संधि के अक्षर और मर्म के अनुसार मधेशियों के प्रति हो रहे हरेक प्रकार का शोषण तथा दमन का  अन्त तराई मधेश वृहत लोकतांत्रिक अभियान का प्रमुख लक्ष्य है । हम स्पष्ट हैं कि मधेशियों को तराई मधेश में जब तक स्वशासन क

प्रेस विज्ञप्ति ः शम्भु महतो को हत्या र राज्य को जिम्मेवारी

 प्रेस विज्ञप्ति ः शम्भु महतो को हत्या र राज्य को जिम्मेवारी  १.गत सप्ताह कीत्र्तिपुर मा शम्भु चौधरी  (महतो) माथि जुन प्रकार ले पानी सार्ने र घर भाडाको निउँ मा घरमालिक ले आक्रमण गरे र जसरी  प्रहरी ले उनको उद्धार गर्न मा  ढिलाई गरे र शम्भु महतो को मृत्यु हुन पुग्यो , त्यस बाट  मधेशी प्रति समाज र राज्य मा व्याप्त गहिरो घृणा एक पटक फेरी उजागर भएको छ ।  घटनाक्रम बाट यो प्रमाणित हुन्छ की शम्भुको मृत्यु का लागि घरधनी का साथ प्रहरी पनि जिम्मेवार छ । तसर्थ  हत्या को परिणाम को जिम्मेवारी राज्य ले लिनु पर्छ ।  २.म मांग गर्दछु कि यस सम्पूर्ण घटना को छानबीन सी आई बी ले गरोस र शम्भु महतो  को असहाय परिवार का लागि तत्काल सरकार ले रु १० लाख को क्षतिपूत्र्ति को व्यवस्था गरोस । साथै शम्भु महतो को तीन वटा बच्चा को निशुल्क शिक्षा को जिम्मेवारी कीत्र्तिपुर को सम्बन्धित स्थानीय सरकार ले ग्रहण गरोस ।  ३.म सरकार को पुनः ध्यानाकर्षण गराउंछु कि नेपाल र भारत बीच रोटी र बेटीको सम्बन्ध सनातन काल देखि चल्दै आएको छ र राज्य ले उक्त सम्बन्ध लाई सम्मान गर्न सक्नु पर्दछ ।   शम्भु को असहाय परिवार को भविष्यको समेत  जिम्मे

दलित हत्या श्रृंखला , राज्य और समाज

  दलित हत्या श्रृंखला , राज्य और समाज  अभी नेपाल में और विशेष कर प्रदेश नम्बर २ में दलितो के विरुद्ध जिस प्रकार से हत्या तथा हिंसा की घटनाएँ बढ रही हैं,वह राज्य, समाज और दलित के बीच के सम्बन्ध के बारे मे कुछ हद तक खुलासा करती हैं । जापानी लेखक हारुकी मुराकामी ने लिखा है जितना दिखता है वह प”रा सत्य नहीं है । ब्रम्हाण्ड उससे भी जयादा गहरा(deeper ) और अन्धेरा(darker) है । अभी की दलित हत्या श्रृंखला समाज के गहरे और अंधेरे पक्ष की तरफ इंकित करती हैं ।  यह दलित एक तरफ सामाजिक हिंसा  का शिकार हो रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्य की हिंसा का शिकार हो रहे हैं । दोनों प्रकार की हिंसां में गहरा अन्र्तसम्बन्ध है। उसकी गहराई को मापन आसान नहीं है ।   राजु सदा  और शम्भु सदा की मृत्यु  जनकपुर में प्रहरी नियन्त्रण में यातना के कारण हुई । उनको और उनके परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में सरकार की तरफ से कोई परिणाम म’खी कदम उठाए गये हैं , ऐसा जान नहीं पडता है । इसी बीच रौतहट में निरन्जन राम की हत्या की खबर आई । निरन्जन सामाजिक हिंसा का शिकार हुआ है । उसकी हत्या के छानबीन के नाम पर प’लिस विजय तथा अन्य कुछ युवाओं क