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Showing posts from May, 2020

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों से -भाग ३ं

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों से -भाग ३ं ( नेपाल के परिप्रेक्ष्य में  कांतिकारी राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी युद्ध)  ब्रिटिश साम्राज्यवादियो ने १९४७ में भारत को स्वतंत्र किया और १९४९ तक आते आते चीन  भी जापान को अपने देश से भगाने में सफल रहा ।  चीन में चिनिया कम्युनिष्ट क्रांति भी सफल हुई लेकिन उसके बाद  क्युमिनटांग पार्टी के नेता च्यांग काई शेक, जो कम्युनिष्ट नहीं थ, को मेनलैड चीन छोडकर ताइवान भागना पडा । अमेरिका के सहयोग और संरक्षण में च्यांग काई शेक ने वहाँ अपनी सरकार बनाई ।  भारत को ब्रितानियों ने भी आनन फानन में ही छोडा था । जब भारत का धर्म के नाम पर दो देशों में विभाजन होना निश्चित हो गया तब ब्रिटिश सुरकार ने जल्दी बाजी में एक ब्रिटिश नक्शा विज्ञ को बुला कर भारत और पाकिस्तान का नक्शा बनाने का कार्य सौपा गया । उस विज्ञ को मात्र तीन महिने का समय दिया गया था । उपदब्ध कराए हुए दस्तावेजों के आधार पर भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा कागज पर खींची गयी । जब ब्रितानी सरकार ने उस नक्शे को स्वीकार किया और भारत और पाकिस्तान के लोग अलग होने लगे तब दोनों देशों में हत्या और ह्रिसा

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों में भाग २

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों में भाग २  झापा विद्रोह से शुरु होकर माओवादी जनयुद्ध के एक दशक का टेढा मेढा सफर तय कर २०६२–६३ के जन आन्दोलन के बाद निरन्तर सत्ता साझेदारी करते हुए  नेपाल कम्युनिट पार्टी  २०७४ साल में बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुई है र्।  सरकार अपने बहुमत का प्रयोग कर पार्टी  तथा देश की  विदेश नीति परिवत्र्तित करने के लिए उद्दत है । इसके लिए नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी और चिनिया कम्युनिष्ट पार्टी के बीच गत साल चिनिया राष्ट्रपति शी के भ्रमण के दौरान दूरगामी महत्व वाले समझौते हुए हैं । अगर उन समझौतों को  गहराई से मनन किया जाए तो इस बात की सहज  अनुभूति हो जाती है कि  समझौता देश में   सत्ता संचालन के लिए निर्देशन के समान भी हैं । चिनिया कम्युनिष्ट पार्टी के साथ समझौता और अभी का नक्शा संशोधन प्रकरण देश की विदेश नीति मे परिवत्र्तन की दिशा को स्पष्ट करता है । अभी की सरकार  ने निश्चित रुप से यह निर्णय  नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के निर्देशन अनुसार लिया है । नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि पार्टी वैज्ञानिक समाजवाद के सिद्धान्तों का अवलम्बन क

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों में

नेपाल की बदलती विदेश नीतिः मधेश की आँखों में   भाग १ कोरोना भायरस की महामारी के दौरान जब देशों के बीच हवाई यात्रा  सुचारु नहीं है तब भारत और चीन दोनों पडोसी देशों से एक बार भी औपचारिक वात्र्ता किये बिना जिस तीव्र गति से नेपाल का नक्शा बदलने के लिए  संसद में संविधान की अनुसूचि ३ के संशोधन का प्रस्ताव  सरकार ने दर्ज कराया है, उसे सहज रुप में स्वीकर करना कठिन है । सरकार के इस कदम से देश का सम्बन्ध किस तरह से दोनों मित्र देशों के साथ के सम्बन्ध को प्रभावित करेगा , सरकार ने इस बात का आकलन नहीं किया । सरकार ने देश की अन्य राजनीतिक दलों को भी संसद में विधेयक दर्ज कराने के पहले उन तथ्यों एवं प्रमाणों की प्रति को उपलब्ध  कराकर उनके साथ निश्चित साझा निष्कर्ष पर पहँचने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया । प्रश्न यह उठता है कि आज ऐसी कौन सी परिस्थिति अचानक सामने आ गयी जिसके कारण संसद में नक्शा संशोधन के लिए प्रस्ताव ही दत्र्ता कराना पडा । क्यों सरकार लाकडाउन के खत्म होने तक के समय का भी  इंतजार नही कर पाई ।  लिम्पियाधुरा के बारे में प्रधानमंत्री लगभग दो सप्ताह पहले यह कह रहे थे कि उनकी जानकारी म

राष्ट्र्रवादको नैरेटिभ र युद्धको आकांक्षा (भाग–१)

राष्ट्र्रवादको नैरेटिभ र युद्धको आकांक्षा (भाग–१) लिपुलेक र कालापानीको विवाद लिई काठमांडौका  सडक र स्रचार माध्यम अहिले अहिले तातिएको छ । भावना, आवेश, आवेग, आक्रोश र आकांक्षा हरु सर्वत्र   पोखिन्दै छन । आम जनता तर विशेषगरी  पहाडी मूलका जनता पुरानो नेपालको सम्झना गरी नोस्टैल्जिक भएका छन ।एक पटक इतिहासका स्मृति र गोरखाली सेनाको गौरव गाथा जीवंत भएको छ । पुरानो वृहद नेपाल को सम्झनामा नास्टेलजिक हुनु स्वाभाविक पनि हो । त्यस संग  जनताको वीरता को गाथा पनि जोडिएको छ । नालापानीको युद्धको समयमा ब्रिटिशहरु नालापानी युद्ध मा विजय प्राप्त गरे पनि गोरखाली सेनाको धैर्य र वीरताको अगाडी नतमस्तक भए का थिए । आज पनि उक्त युद्ध भएको स्थानमा त्यहाँ युद्ध लडेका सैनिकहरुको सम्झना र सम्मानमा युद्ध स्मारक बनाइएको छ । १८१४मा नालापानी को युद्ध पहाडी भेगमा भएको पहिलोे युद्ध थियो । त्यस पछि  इस्ट इंडिया कम्पनी र नेपाल बीच को युद्ध तराई तिर सर्यो ।  तराईमा अंततोगत्वा इस्ट इंडिया कम्पनीले  युद्धमा  विजय  प्राप्त गर्यो । युद्ध जीते पनि १८१६को सुगौली संधिमा दक्षिण एशियाको सबै भंदा पुरानो मुलुक नेपाल लाई तराई मा समतल