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Showing posts from 2012

Words of Condolence on death of I.K. Gujral

                                                     Words of Condolence   The death of Former Prime minister of India is a great loss to all the nations and people of South Asia. He was a true democrat who believed in the values of civil rights and liberal values for peace, freedom and dignity of all  people and nations. As the Prime minister and foreign minister of India, he presented a distant vision of a United Nations of South Asians and to realize that in practice he adopted a range of foreign policies which was compassionate, understanding and respectful of the needs and concerns of other nations and people. He was one of the most sophisticated and finest minds of India with deep roots in the philosophy and thoughts of that idea of India, which is yet to be realized. And so in his dealings with other people and nations , he did not always put immediate interests of India at the helm of affairs. His vision will last even though he is no more. I have the

मंसीर ७ गते के बाद देश और मधेश की दिशा किधर

(excerpt from speeches delivered in the villages of  Bara and Parsa district on Manghsir 7 and 8, 2069 )          मंसीर ७ गते के बाद देश और मधेश की दिशा किधर   एकीकृत ने.क.पा. माओवादी, नेपाली कांग्रेस, नेकपा एमाले और संयुक्त लोकतांत्रिक मधेशी मोर्चा के नेताओं की अदूरदर्शिता के कारण ज्येष्ठ १४ गते के दिन संविधान सभा देश के लिए संघीय संविधान जारी किए बिना ही विघटित हो गया । उस दिन पूर्व घोषणा अनुसार ना तो सभापति निलाम्बर आचार्य ने संविधान सभा में प्रस्तुत करने के लिए सहमति असहमति सहित का संविधान का मस्यौदा पारित  करने के लिए  संवैधानिक समिति की बैठक बुलायी और ना ही संविधान सभा के सभामुख सुभाष चन्द्र नेम्वांग ने संविधान सभा की बठक बुलायी । जब दो तिहाई संख्या से भी ज्यादा सभासद संविधान सभा में संघीय ं संविधान जारी करने के लिए तैयार बैठे थे, तब एक गहरे षडयन्त्र तहत सविधान सभा को कब्र मे दफना दिया गया । मधेशी मोर्चा तथा माओवादी की संयुक्त सरकार ने संविधान तथा सर्वोच्च अदालत की अवहेलना करते हुए  संविधान में आवश्यक संशोधन किये बिना ही मंसीर ७ गते को संविधान सभा निर्वाचन की तिथि घो

Madhesh Swa- Nirman Yatra-मधेश स्वनिर्माण यात्रा

    मधेश स्वनिर्माण यात्रा (इसी मंसीर  १ गते गी्रन अलायंस के युवाओं ने सरलाही के बलरा से लेकर रौतहट के गरुडा तक मधेश स्वनिर्माण यात्रा का आयोजन किया। उस यात्रा के दौरान बागमती नदी को नाव पर पार करना पडा । सैयों लोग हरेक  दिन अपने विभिन्न कार्यो के लिए बागमती वैसे ही पार करते हैं । इस बरसात में बागमती में ऐसी ही यात्रा के दोरान नाव उलट गयी थी और लगभग १८ लोगों की मौत हो गयी थी। मरने वालों मे से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे थे । यात्रा के दौरान तीन जगहों पर  गा्रमीण जनता को सम्बोधित करने का और उनको ुनने का अवसर भी मिला । इस यात्रा में सहभागी होने का अवसर मुझे उपलब्ध कराने के लिए  गी्रन अलायन्स को पुनः धन्यबाद देते हुए यात्रा के दौरान दिए गए भाषण के महत्पपूर्ण अंशो को यहाँ प्रस्तुत करती हूँ ।)  गी्रन अलायंस के आयोजन में  मोहन सिंह एवं गोंविंद साह जैसे प्रतिभाशील एवं होनहार  मधेशी युवाओं ने मधेश स्वनिर्माण के अभियान का  सूत्रपात किया है । यह शुरुवात   मधेश निर्माण   के लिए एक नये अध्याय की शुरुवात हो सकती है ।  एक तरफ यह यात्रा मधेश विकास के लिए मधेशी युवाओं की उर्जा और कल्पनाशीलता का

Is the Labor Minister Belbase the only Guilty Person?

Is Former Minister Belbase the Only Guilty Person ? The Minister for Labor and Employment Mr Kumar Belbase has tendered  his resignation in the wake of news made public of him asking for bribe money for himself and the secretary for getting new manpower companies registered.  In March this year, I was asked to resign by the PM because, as he told me, he was under tremendous pressure over the issue of  my decision to transfer the DG Purna Chandra  Bhattarai of Foreign Employment Department to the Ministry  of Labour and Transport Management. I declined to resign because  it was under my jurisdiction to transfer the DG to the ministry for 3 months. I had replied to him that  I had transferred the DG  to pursue PM's  agenda of good governance. I had earlier briefed him  that  the DG was resisting reform initiatives and I had found his role in promoting and covering human trafficking. Three days ago, I had handed over some  reports about  DG's  involvement and his lead rol
वत्र्तमान मंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचार प्रकरणमा पुनः पूर्वमंत्री सरिता गिरी र मिडिया वत्र्तमान मंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचार प्रकरणमा पुनः पूर्वमंत्री सरिता गिरी र मिडिया हिजोको काठमांडूपोष्टमा श्रममंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचारमा संलग्नताको सम्बन्धमा छापिएको प्रमुख समाचार मा म पनि भ्रष्टाचारको आरोपमा अभियोजित रही पदच्युत भएको  भनी  उल्लेख गरिएको थियो । तर अभियोगको बारेमा  कुनै निश्चित आधार वा मुद्दाको उल्लेख समेत नगरी मेरो नाम समेत समावेश गरी छापिएको समाचार प्रति असहमति जनाई मैले संपादकको नाममा हिजो बिहानै यो पत्र लेखेको थिएँ र यस्कोबारेमा टवीटर मा समेत हिजै टवीट गरेको थिएँ । काठमांडूपोस्टको आज को प्रति मा उक्त पत्र छापिएको छैन र काठमांडू पोष्टले पत्रकारिता को सामान्य सिद्धान्त र नैतिकता को समेत उल्लंघन गरेकोछ। कांतिपुर र काठमांडूमा प्रकाशित खबर अनुसार प्रधानमंत्री बाबुराम भट्टराईले मलाई भ्रष्टाचारको आरोपमा मलाई पदच्युत गरेका थिए तर वास्तविकता के रहेकोछ प्रधानमंत्री ले मसंग कुरा गर्दा  कहिले पनि भ्रष्टाचारको आरोपको बारेमा कहिले 

A letter to Kathmandu post for mentioning me in Belbase corruption scam

I sent this letter to the editor of Kathmandu post, which tkp did not publish .So I am putting it in my blog.   To The  editor Kathmandu Post My attention has been drawn to the news published in today's Kathmandu post regarding Labor Minister Kumar Belbase's tape scandal in relation to registration of new man power companies. The way I have been mentioned in the news, is highly objectionable and I   have taken very serious note of that. Kathmandu post's wrong reporting in the past has done very serious damage to me and it has attempted to damage me  again by mentioning me for my alleged role  in corruption after seven months of my removal from the cabinet. However, the story of KTP about me has changed this time. Earlier it spread the message that I took bribe from many foreign employment manpower companies and now it has a different story to sell to people. It merely talks of my alleged role in giving license to only one company. Kathmandu post, in

वत्र्तमान मंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचार प्रकरणमा पुनः पूर्वमंत्री सरिता गिरी र मिडिया

वत्र्तमान मंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचार प्रकरणमा पुनः पूर्वमंत्री सरिता गिरी र मिडिया हिजोको काठमांडूपोष्टमा श्रममंत्री कुमार बेलबासेको भ्रष्टाचारमा संलग्नताको सम्बन्धमा छापिएको प्रमुख समाचार मा म पनि भ्रष्टाचारको आरोपमा अभियोजित रही पदच्युत भएको  भनी  उल्लेख गरिएको थियो । तर अभियोगको बारेमा  कुनै निश्चित आधार वा मुद्दाको उल्लेख समेत नगरी मेरो नाम समेत समावेश गरी छापिएको समाचार प्रति असहमति जनाई मैले संपादकको नाममा हिजो बिहानै यो पत्र लेखेको थिएँ र यस्कोबारेमा टवीटर मा समेत हिजै टवीट गरेको थिएँ । काठमांडूपोस्टको आज को प्रति मा उक्त पत्र छापिएको छैन र काठमांडू पोष्टले पत्रकारिता को सामान्य सिद्धान्त र नैतिकता को समेत उल्लंघन गरेकोछ। कांतिपुर र काठमांडूमा प्रकाशित खबर अनुसार प्रधानमंत्री बाबुराम भट्टराईले मलाई भ्रष्टाचारको आरोपमा मलाई पदच्युत गरेका थिए तर वास्तविकता के रहेकोछ प्रधानमंत्री ले मसंग कुरा गर्दा  कहिले पनि भ्रष्टाचारको आरोपको बारेमा कहिले  पनि केही उल्लेख गरेनन  र छापामारी शैलीमा मलाई पदच्युत गरी अर्का सभासदलाई त्यसै बिहान शपथ ग्रहण गराए। म आज पनि त्यो दिन समझिं

नेपाल में मधेशी दलों के एकीकरण का विषय

(अद्र्ध प्रजातंत्र के लिए संवैधानिक विकास को अवरुद्ध करने का दूसरा आसान तरीका दलो में अस्थिरता और टुट फुट बनाए रखना है । शासक वर्ग यह  बखूबी समझता है कि दलीय राजनीति में दलों को नियंत्रित रखने या आवश्यकता पडने पर  उनके माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनाए रखने के लिए राजनीतिक दल सम्बन्धी कानून और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं पर नियन्त्रण कितना आवश्यक हैं । आज देश में  राजनीतिक अस्थिरता का दोषी ं संसदीय पद्धति को  ठहराया जा रहा है । अस्थिरता खत्म करने के लिए राष्ट्रपतिय पद्धति को बहाल करने की बातें हो रहीं हैं लेकिन अस्थिरता के प्रमुख कारक तत्व राजनीतक दल एवं निर्वाचन आयोग सम्बन्धी कानून के तरफ कि का ध्यान नही जा रहा है। यह निश्चित है कि संसदीय पद्धति के स्थान पर राष्ट्रपतिय अथवा मिश्रित पद्धति की बहाली होने पर गणतांत्रिक नेपाल में एक तरफ फिर से अद्र्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना होगी तो दूसरी तरफ दल एवं निर्वाचन सम्बन्धी हाल ही के कानूनों की निरन्तरता रहने पर राजनीतिक दलों में टूट फूट का क्रम भी जारी रहेगा । तब भी  मधेशवादी लगायत अन्य राजनीतिक दल सुशासन और परिव

संघीयता र सहमतीय सरकारको विवादको गोलचक्कर बाट निकासको बाटोः संसदको निर्वाचन

संघीयता र सहमतीय सरकारको विवादको गोलचक्कर बाट  निकासको बाटोः संसदको निर्वाचन        (हालको समस्याको समाधान न त जनमत संग्रहले दिन सक्दछ न संविधान सभाको निर्वाचनलेनै दिन सक्दछ।  एकल जातीय पहिचान वा बहुजातीय पहिचानको बिषयमा हुने भनिएको बिषय लाई टुंगो लगाउनका लागि जनमत संग्रहमा जानु भनिएको बिषय हास्यापद हो । संविधान सभाको निर्वाचनमा कसैले पनि दुई तिहाई को मत प्राप्त गर्न सक्दैन र त्यहाँबाट संविधान आउंदैन । तसर्थ अत्यन्त कम समयका लागि संविधान सभा र संसदको पुनस्र्थापना गरि संघीयता बाहेकको संविधान जारी गरिनु पर्दछ र नया संविधान अनुसार संसदको निर्वाचनमा जानु उपयुक्त हुन्छ । नया निर्वाचित संसदलाई  मुलुकको संघीय ढाँचाको निर्धारण को दायित्व सुम्पिने गरी अबको राजनीतिक र संवैधानिक अवरोधको अंत गरिनु पर्दछ। ) अवरुद्ध राजनीति र अदालत नेपालको राजनीति अवरुद्ध छ । वास्तविक कारणहरु अरुनै भए पनि प्रमुख तीन दल र मधेशी मोर्चाले सघीय प्रारुपको विवाद लाईनै प्रमुख कारक तत्व भनी जनता समक्ष प्रस्तुत गरेका छन । नेपालको राजनीति अहिले दल हरुले बनाएको सहमतीय सरकार र संघीयताको गोल चक्कर को बंदी भएकोछ। निकास

The Indian Experience of Liberalizing Economy : A Lesson for Nepal

The Indian  Experience of Liberalizing Economy :  Lessons for Nepal (The lessons for Nepal from the Indian experience is that liberalization of economy and building of state's regulatory capacities should progress simultaneously to ensure benefit to the common people and keep the general economy healthy. Half -hearted liberalization committed under pressure and in the face of impending   crisis does not carry any people or any nation   long on the path of peace, stability and prosperity.)  Indian experience of liberalizing the economy from 1991 up till now is  interesting for all the developing countries. It is crucial for  Nepal because of the nature of  ties that exist between  India and Nepal. Last year only, the Government of Nepal concluded an agreement with India commonly knows as BIPPA to pave way for Investment of Indian money in Nepal. There has not been any substantial Indian investment after that, yet the agreement has aroused people's hope