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Showing posts from 2014

....मैं कौन हूँ.....

....मैं कौन हूँ..... मैं सपना हूँ,साँस हूँ, शरीर हूँ, जीवन हूँ  । मेरा नाम भी है इतिहास भी , और पहचान भी । एक नहीं,बहुत । लेकिन यह सब मेरा पूरा अपना नहीं है। वहाँ मै भी हूँ , तुम भी हो, और भी  बहुुत सारे लोग हैं। वहाँ बहुत सारी बातें भी हैं, और बहुत सारी यादें भी । वहाँ भीड भी है, और एकान्त भी । वहाँ साथ भी है, और अकेलापन भी । वहाँ सुख भी है, और दर्द भी । वहाँ घमंड भी है और समर्पण भी। वहाँ शक्ति भी है और हीनता भी। वहाँ शब्द भी है और मौनता भी । इन सबके बीच मेरा निज तो बस मेरी साँसे, मेरी यादेें मेरा शरीर और मेरा जीवन है। ल्ेकिन इन सबसे परे मैं एक सोच भी हूँ और एक भाव भी । सपना तो मै हूँ ही। मेरे भाव मेरी सोच और मेरे सपने जिन्हे पूरा का पूरा  तुम भी नही जान पाओगे, कोई और भी नहीं जान पायेगा । मैं भाव भी हूँ, सपना भी और सोच भी, व्यक्त और अव्यक्त।। ..................................

अनुहार छोपेका युवतीहरु

अनुहार छोपेका युवतीहरु मैले अखबारमा तस्वीर देखें सीढी बाट तल झरी रहेका दुई जाना युवती को शरीर उन्को देखिएको थियो तर अनुहार छोपिएको थियो । उन्हीं हरुले आफनो हाथ बाट आफनो अनुहार छोपेका थिए । पक्के पनि अपराधी थिएनन किन भने अपराधी हरुले कपडाले आफनो सम्पुर्ण अनुहार छोपेको कईयन तस्वीर मैले अखबारमा नै देखेको छु । जीव देखिने तर अनुहार छोपने तस्वीर हेर्दा मलाई लाग्यो युवती हरु को सम्पूर्ण लज्जा अब अनुहारमा मात्र सीमित भई सकेको रहेछ ।। उनको साथमा पुरुष प्रहरी हरु पनि थिए अवैध धंधा गर्ने ती युवती हरुको अनुहार छोपने गरी तिनी हरु पनि अगाडी पछाडी हिंडी रहेका थिए। अनुहार उनको अहंले भरिएको थियो भने हाथमा उनको डंडा थियो । अवैध धंधाका ग्राहक हरुको अनुहार र आकृति बंदकोठाको चोर गल्ली बाट उनी हरुले लापता गरी सकेका थिए त्यसैले अनुहारमा उनको तेज थियो । युवती हरु सकी न सकी अनुहार लुकाउंदै, जीव देखाउंदै बजार मा बिकाउ भएको विज्ञापन गर्दै सडकमा आयी सकेका थिए । धन्य ईशवरले उनको लज्जा अनुहारमा लुकायी दिएकारहे छन । शायद ईश्वर लाई थाहा छ अवैध धंधा गर्ने यी युवती हरुले नै वैध समाज पनि थामेका छन । किन

भदौ १७ ः मधेशी र मधेश का लागि काला दिन (भाग २)

भदौ १७  ः  मधेशी र मधेश का लागि काला दिन (भाग २) निर्वाचनका संरचनाहरु र संघीय नेपालमा मधेश तथा मधेशीको  पूर्ण राजनीतिक प्रतिनिधित्वको सवाल  मधेश प्रतिको विभेद का चुनावी संयत्र बुझने हो भने  पहिला संविधान बाट नै शुरु हुनु पर्दछ र धारा १६३ का साथ साथै लाई संवैधानिक धारा १५४ को ६,७ र ८ उपधाराहरु  लाई अध्ययन गर्नु पर्दछ ।   संविधानको दुबै धारा १लाई संग संगै हेर्ने हो भने   १६३ ३ (क) मा जनसंख्या वृद्धिको अनुपातमा निर्वाचन क्षेत्र वृद्धि को जुन व्यवस्था गरिएको छ त्यस लाई  धारा १५४ (छ) ले  पूर्णतया निरस्त पारी दिएको छ ।  धारा १६३ (३) क ले उल्लेख गरेका कुरा यस्ता छन् ः (१) प्रशासकिय जिल्लालाई निर्वाचन जिल्लाको रुपमा कायम गर्ने ।  (२) अघिल्लो राष्ट्रिय जनगणना बाट निश्चित भएको जनसंख्याको आधारमा त्यस्ता जिल्ला र सदस्य संख्या बीचको अनुपात यथा सम्भव समान हुने गरी धारा १५४ (क) (७) निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण गर्दा जनसंख्या भौगलिक अनुकुलता तथा विशिष्टताको आधारमा प्रत्येक प्रशासकीय जिल्लाको सिमाना , भौगलिक अवस्था , जनसंख्याको घनत्व यातायातको सुविधा र त्यस्तो जिल्लामा बसोबास गर्ने ब

भदौ १७ ः मधेशी र मधेश का लागि काला दिन (भाग १)

भदौ १७  ः मधेशी र मधेश का लागि काला दिन (भाग १) निर्वाचनका संरचनाहरु र संघीय नेपालमा मधेश तथा मधेशीको  पूर्ण राजनीतिक प्रतिनिधित्वको सवाल  पृष्ठभूमि नेपाल सद्भावना पार्टी आफ्नो स्थापनाकाल देखि नै संघीयता, जनसँख्याको अनुपातमा मधेश मा निर्वाचन क्षेत्र अभिवृद्धि तथा पछि आएर २०५५ साल देखि समानुपातिक निर्वाचन पद्धति का लागि आवाज उठाउंदै आएको हो ।   पूर्ण राजनिितक प्रतिनिधित्व का लागि उक्त माँगहरु न्यायोचित भए पनि २०५८ साल सम्म देशका  शासक पार्टीहरुले यी मांगहरुको बेवास्ता गर्दै आएका थिए । २०५८ सालमा माओवादी जनयुद्धको पृष्ठमूमिमा तत्कालीन राजाले जब सत्ता अधिग्रहण गरे अनि  २०४७ सालको संविधान पुर्णतया विफल भयो । त्यस पश्चात लोकतन्त्र तथा शान्ति का लागि सात दल र पछि आठ दलको नेतृत्वमा अहिंसक जन आंदोलन प्रारम्भ भएको थियो । जन आन्दोलन नेतृत्व गर्ने दलहरु मध्ये नेपाल सद्भावना पार्टी त्यस बेला एक मात्र मधेशवादी पार्टी थियो । लगभग चारवर्ष चलेको जनआन्दोलनको दौरान राजनीतिक र सामाजिक एजेण्डाहरुको बिकास हुँदै जांदा संघीयता, समानुपातिक निर्वाचन पद्धति र जनसँख्याको आधारमा निर्वाचन क्षेत्रको निर्ध

नेपाल में मधेश की राजनीति की भावी दिशाः हिमाल, पहाड और मधेश प्रदेश सहित नेपाल संघ का निर्माण

नेपाल में मधेश की राजनीति की भावी दिशाः हिमाल, पहाड और  मधेश प्रदेश सहित नेपाल संघ  का निर्माण १।मधेश की राजनीति में अभी तीन धारे दिख रही हंै । एक धार आत्म निर्णय के अधिकार सहित के स्वायत मधेश प्रदेश की धार है लेकिन इस धार में मधेश की सीमा के बारे में अस्पटता दिखती है । दूसरी धार अलग होने के अधिकार सहित मधेश प्रदेश निर्माण की धार है और यह पूर्व के झापा से पश्चिम के कंचनपुर तक को मधेश प्रदेश म ानती है । तीसरी धार भी झापा से कंचनपुर तक समग्र मधेश एक प्रदेश के निर्माण की धार है , लेकिन इसका अंतिम लक्ष्य स्पष्ट नहीं है अर्थात् यदि समग्र मधेश प्रदेश नहीं मिला तब यह भी अलगाववादी धार के तरफ जाएगी, यह स्वतः अनुमान लगाया जा सकता है । पहली धार स्वातता के नाम में मधेश की औपनिवेशिक अवस्था को निरन्तरता देने की पक्षधर है क्यों कि आत्म निर्णय तहत क्या होगा और नही होगा, इस बारे में स्पष्टता अभी तक नही दिखी है। राजनीति और इतिहास का गहरा और व्यापक सम्बन्ध होता र्है । अगर नेपाल में मधेश की राजनीति का गहराई और व्यापकता का सूक्ष्मता के साथ विश्लेषण किया जाए तो निष्कर्ष निकलता है कि तीनों धारें बिट्

NSP latest press release

प्रेस विज्ञप्ति १। संविधान सभा निर्वाचन पश्चात् नया प्रधानमंत्री चयन गर्ने र संविधान लेख्नको कार्य सम्पन्न गर्ने संदर्भमा  नेपाली कांग्रेस र नेकपा एमाले दलहरु बीच भएको सात बूंदे सहमति को नेपाल सद्भावना पार्टी स्वागत गर्दछ । हामी आशान्वित छौं कि उक्त ७ बूंदे  सहमति ले १ वर्ष भित्र जनता को आशा र अपेक्षा अनुरुप संघीय लोकतांत्रिक संविधान जारी गर्न का लागि अनुकूल र सहज बातावरण को निर्माण गर्छ । २। उक्त सहमति मा स्थानीय सरकार को निर्वाचन संविधान जारी हुनु भंदा हुने सम्बन्धमा कुनै बूंदा न रहेकोमा पार्टी संतोष व्यक्त गर्दछ । संघीय व्यवस्था अनुरुपको स्थानीय स्वशासन ऐन न आए सम्म पार्टी स्थानीय निर्वाचनको पक्ष मा छैन । एक वर्ष भित्र संघीय संविधान जारी भई सके पश्चात् मात्र स्थानीय निकायको निर्वाचन हुनु पर्ने र उक्त निर्वाचन प्रांतीय सरकारले गराउनु पर्ने पार्टी को धारणा रहेको छ । ३। पार्टी नेपाली कांग्रेस का सभापति माननीय सुशील कोइराला ज्यू मुलुकको नया प्रधानमंत्री हुन गई रहेको अवसरमा सम्पूर्ण पार्टी पंक्ति को तर्फ बाट म वहाँ लाई हार्दिक बधाई तथा शुभकामना ज्ञापन गर्दछु। ४। शिक्षण अस्पताल का वरिष्ठ

मधेशी नेतृत्व

यता केही दिन देखि माओवादी र मधेशी नेता हरुको बीच सत्ता साझेदारी का लागि गरिएको चार बूंदे सहमति को बेला खिंचे का केही तस्वीर लाई लिई कन  सबै तरफ बाट आलोचना भई रहे कोछ । यहाँ सम्म कि मधेश का केही प्रबुद्ध व्यक्ति र संस्था हरुको पनि आलोचनात्मक टिप्पणी नै आई रहेको छ । उता मधेशीमूल का राष्ट्रपति रामवरण यादव जी को वार्ता, चाहे त्यो तीन प्रमुख दल का नेता हरु संग भए को वात्र्ता होस वा फेरि कांग्रेस कै महामंत्री संग को अंतरंग वात्र्ता होस, वात्र्ता को एक एक शब्द र वाक्य बाहिर छताछुल्ल भई रहेकोछ र यस अभियानको निष्कर्ष यही रहेको बुझन सकिन्छ कि मधेशी हरु राजनीति मा नेतृत्वदायी भूमिका निर्वाह गर्ने योग्य छैनन। कतै नेता ले आफनो गोपनीयता भंग गरी रहे का छन भने कहिले पत्रकार ले अयोग्य र असक्षम साबित गर्न लागि परे का छन । पत्रकार का कुरा गर्दा मलाई आश्चर्य के लाग्दछ कि मधेशी राष्ट्रपति भएको राष्ट्रपति भवनको  समेत गोपनीयता कायम रहन सके को छैन।  लाग्दछ  यस मुलुक को सम्पूर्ण सन्यत्र मधेशी नेतृत्व लाई अयोग्य, असक्षम, भ्रष्ट र राष्ट्रघाती साबित गर्न लागि परे को छ। यो अत्यन्त चिन्ता को विषय हो । यति भनि म यो

भारतीय नक्कली रुपयों का अवैध कारोबार और काठमांडू

भारतीय नक्कली रुपयों का अवैध कारोबार और काठमांडू आज भारतीय नकली रुपयों के कारोबार में फिर से गिरफतारी हुई है । इस बार चुनाव के दौरान मधेश को और भी नजदीक से जानने समझने का मौका मिला। आज से कुछ वर्षो पहले तक काठमांडू या काठमांडू से बाहर बैंकों में भारतीय रुपया आसानी से मिल जाता था ,लेकिन अब वैसा नहीं है । कहा जाता है कि पर्याप्त भारतीय रुपये बैंकों के पास नहीं है । शायद सिर्फ बडे व्यापारियों को व्यापार करने के नाम पर भारतीय रुपैया उपलब्ध  कराया जाता है । लेकिन फिर सीमावत्र्ती क्षेत्र में १६० रुपये की जगह १६५,१७० या फिर उससे भी ज्यादा नेपाली रुपया देकर १०० भारतीय रुपैया खरीदा  जाता है । मेरा अपना अनुमान यह है कि बडे व्यापारियों को जो भारतीय रुपैया व्यापार के नाम पर उपलब्ध होता है , उन्ही रुपयों का व्यापार  सीमा क्षेत्र पर व्यापारी कर अपनी पूंजी की अभिवृद्धि करते हैं । यानि कि जो सुविधा बैंको को उपलब्ध कराना चाहिए था, वह सेवा अनधिकृत नीजि क्षेत्र की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है और यह निश्चित रुप से काफी फायदेमंद व्यापार भी जान पडता है  और आम आदमी के शोषण पर आधारित इस व्यापार का मुनाफा नी

धुँवे का घर

  धुँवे  का घर हमारी राख से निकले धुँवे से बनी तुम्हारी घर की दीवारें। धुवें की दीवारों को गायब होने मे समय नही लगता है । इसीलिए नये घर की खोज में सब लगे हैं। लेकिल अभी हम पुरे जले नहीं हैं साँस अभी बाँकी है । धरती की नींव भी अभी बाँकी है । धरती से उपर इधर उधर  बिखरे टुकडो को हम समेट रहे हैं। नयी दीवारों को बनाने की खातिर । हमारे नये मुहिम में बहुत सारे नये हाथ हमसे जुट चुके हैं। सरिता 12.10.2070

अनशनः हठयोग, नैतिक योग और आध्यात्मिक योग

अनशनः हठयोग, नैतिक योग और आध्यात्मिक योग मैने पार्टी की मांगों को राज्य समक्ष रखकर २१ दिनों का अनशन काठमांडू में किया था । शायद सातवें दिन के बाद वीर अस्पताल के कुछ वरिष्ठ डाक्टरो की सलाह पर मधु का सेवन करने लगी क्यों कि स्पष्ट होचुका था कि सरकार सहमति नही चाहती थ ीऔर मुझको अस्पताल में भर्ती कराकर मेरे अनशन के अभ्यास को स्खलित कराना चाहती थी । मैनै भी जिद डान ली कि अनशन तोडुंगी तो अपने शत्तों पर और अपनी आवश्यकता अनुसार । मैं र।जेन्द्र महतो जी के समान चार दिन के बाद अस्पताल जाकर धोखे से युक्त सहमति नहीं करने के लिए कदापि भी तैयार नहीै थी । राज्य की वास्तविकता को जन समक्ष लाना ही अब मेरा उद्देश्य बन चुका था और उसके लिए अनशन लम्बा करना होगा , यह स्पष्ट था ।मधु के सेवन के कारण ही २१ दिनों तक टिक सकी । २१ वें दिन सरकार ने चुनाव क्षेत्र निर्धारण आयोग के विभेदकारी प्रतिवेदन कौ स्वीकार कर लिया । सरकार के सत्य को जनसमक्ष लाने का मेरा उद्देश्य पुरा हो गया  और २२ वे. दिन भदौ १७ को मधेश के लिए काले दिवस की घोषणा कर मैंने अपना अनशन समाप्त किया था । मधु सेवन के विषय को लेकर सिर्जित व्यापक विवाद के